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कोऊ जन निंदो, कोऊ जन बंदो
मीरां के जीवन कविता की निर्मितियों का पुनरवलोकन संगना । अंक 52-55। अक्टूबर 2023 -सितंबर,2024 मीरां का प्रचारित जीवन, उसके असल जीवन से अलग...

Madhav Hada
Dec 24, 202434 min read


कोई निंदौ, कोई बिंदौ
मीराँ को जानने-समझने के दौरान के कुछ संकल्प और दुविधाएँ मीरां की कविता की एक पंक्ति है- कोई निंदौ कोई बिंदौ, मैं तो चलूंगी चाल अपूठी।...

Madhav Hada
Oct 30, 20249 min read


परंपरा की जगह कभी-कभी खूँटे ले लेते हैं
माधव हाड़ा से पीयूष पुष्पम् का संवाद पाठ। सं. देवांशु। जुलाई-सितंबर, 2024 प्रश्न: आपने शुरुआत तो आधुनिक कविता की आलोचन से की थी। अब आपने...

Madhav Hada
Aug 21, 202422 min read
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