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माधव हाड़ा
Oct 29, 201910 min read
परंपरा में रचा-बसा आधुनिक
नामवरसिंह पर एकाग्र ' साक्षात्कार के विशेषांक में प्रकाशित नामवरजी की आलोचना नयी और अलग है, लेकिन उनके यहाँ इसके उगने–बढ़ने का खाद-पानी...
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माधव हाड़ा
Jun 4, 201612 min read
प्रकृति के पड़ोस में कविता
बहुवचन, जनवरी-मार्च, 2016 में प्रकाशित मनुष्य जीवन प्रकृति की रचना है इसलिए उसको देखने-समझने में प्रकृति को देखना-समझना शामिल है। कविता भी...
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