स्वयं प्रकाश की लोकप्रिय कहानियाँ | चयन एवं संपादन
स्वयं प्रकाश की लोकप्रिय काहनियाँ (चयन एवं संपादन)
प्रभात प्रकाशन, दिल्ली, 2016, मूल्य : रु. 250, पृ. 176
ISBN : 978-93-5186-895-6
परिचय
स्वयंप्रकाश की ऐसी कई विशेषताओं वाली ‘लोकप्रिय’ ग्यारह कहानियां आपके लिए यहां संकलित हैं। स्वयं प्रकाश की कहानियों की अलग पहचान है। आम तौर पर हिन्दी की कहानियों में अलग-अलग कहीं कुछ तो कही कुछ जो विशेषताएं मिलती हैं वो स्वयं प्रकाश की कहानियों में कमोबेश एक साथ हैं। उनकी कहानियां एक साथ लोकप्रिय और साहित्यिक, दोनों हैं। ये सौद्देश्य हैं, लेकिन उपदेशक और अखबारी नहीं है और इनमें जादू जैसी असरकारी किस्सागोई है। ये आधुनिक हैं, लेकिन अपना खाद-पानी परंपरा से भी लेती हैं। इनमें सार्वकालिक कथ्य और सरोकार हैं, लेकिन ये समकालीनता में रची-बसी भी लगती हैं। हिन्दी कहानी ढंग-ढांग पूरी तरह यूरोपीय रंग में चुका था लेकिन स्वयं प्रकाश ने आग्रहपूर्वक लोककथा के गुणों को अपनी कहानियों में साधना शुरू किया। उन्होंने अपनी ऐसी कहानियों की नाम संज्ञा भी ‘कहानी’ के बजाय ‘कथा’ रखी है।
स्वयं प्रकाश यथार्थ के प्रस्तोता नहीं, आख्याता हैं। उनकी कहानियां आग्रहपूर्वक मनुष्य जीवन के आसपास हैं, उनमें मनुष्यजीवन की उठापटक और जद्दोजहद है, लेकिन उनमें रचाव का हुनर भी बराबर है। स्वयं प्रकाश की कहानियां पढ़ते हुए बराबर यह लगता है कि वे कहानी लिखते नहीं, कहते हैं। स्वयं प्रकाश की कहानियों की असल ताकत उनका गद्य है। हिन्दी में ऐसा गद्य अन्यत्र दुर्लभ है। लिखने और बोलने की हिन्दी अलग-अलग हो गईं। स्वयं प्रकाश के गद्य में यह फांक नहीं है। उनका कथा और कथेतर, दोनों प्रकार का गद्य दैनंदिन जीवन से लिया गया, छोटे-छोटे वाक्यों वाला मुहावरेदार गद्य है।